रविवार, 12 जनवरी 2014

अंदर बैठा डर

जो सबसे पहले
ख़त्म होना चाहिए
वो है
उनके
अंदर बैठा डर

किसी अहित होने से  पहले
उसके होने
का एहसास

लोगों को
वक़्त से पहले मार देता है।

फिर वो
हर बात
हर शख्स
को संशय की नज़र
से देखते हैं।

अगर जीवन है
तो हमे  इन ख़तरों का सामना
करना चाहिए।

सुरक्षित जीवन
जैसी किसी अवधारणा
का  कोई आधार नहीं ,

जैसा किसी ने
कहा है कि
जहाज़ बंदरगाह  में
सुरक्षित तो है
पर उसका निर्माण इस
लिए नहीं हुआ है।









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