इक दफे चांद मुस्कुरायेगा ,
इक दफे तुम भी मुस्कुरा देना।
फिर से इस बार घनी उदासी में,
तुम उम्मीदों के गीत गा देना।
ख्वाब चाहें हो न हों पूरे ,
उनकी तस्वीर तुम बना देना।
लोग तो दर्द बाँटते रहेंगे ,
तुम उस दर्द की दवा देना।
खो के उम्मीद जो बैठे है उनको
तुमपे लाज़िम है सहारा देना।
इक दफे तुम भी मुस्कुरा देना।
फिर से इस बार घनी उदासी में,
तुम उम्मीदों के गीत गा देना।
ख्वाब चाहें हो न हों पूरे ,
उनकी तस्वीर तुम बना देना।
लोग तो दर्द बाँटते रहेंगे ,
तुम उस दर्द की दवा देना।
खो के उम्मीद जो बैठे है उनको
तुमपे लाज़िम है सहारा देना।
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