बेचैनी होना ज़रूरी है।
दुनिया में कितनी चीज़ें हैं
जो बेचैन करने को काफी हैं।
दूसरों का दर्द,
कुछ की बेरुखी,
रोज़मर्रा के हालात
अच्छे तो किसी को नहीं लगते।
लोग सहमे डरे
जीते रहते हैं उम्मीद के सहारे।
साथ यूँ तो कोई नहीं होता ,
पर ये बेचैनी अकेले लड़ने
में मदद करती है।
दुनिया में कितनी चीज़ें हैं
जो बेचैन करने को काफी हैं।
दूसरों का दर्द,
कुछ की बेरुखी,
रोज़मर्रा के हालात
अच्छे तो किसी को नहीं लगते।
लोग सहमे डरे
जीते रहते हैं उम्मीद के सहारे।
साथ यूँ तो कोई नहीं होता ,
पर ये बेचैनी अकेले लड़ने
में मदद करती है।
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