शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2014

ग़ज़ल,

इक दिया दिल में जला लो यारों 
फिर चाहे आग लगा लो यारो। 

रौशनी है तो अँधेरा न होगा,
उसको अपने पास बुला लो यारों। 

मुस्कुराहटों से लगे है चोट दिल में ,
थोड़ी सा और रुला लो यारों। 

हार और जीत  है तुम्हारा मसला,
जीतकर मुझको हरा लो यारों। 

कहीं हो दाग़ जिस्म पर तो छूट जाएगा,
दिल पे कुछ दाग लगा दो यारों। 

यूँ तो क़िस्मत ने कई बार आज़माया हमको 
तुम  भी एक बार आज़माअो यारों।  


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