शनिवार, 13 दिसंबर 2014

मेरे करीब

मेरे करीब कांटे हैं
और दर्द का सागर है

तुम जो आओगे पास 
तो चुभ जायेंगे कांटे
और छलनी कर दे़ंगे तुम्हारा दिल

हमारे पास कुछ नहीं देने को 
सिवा ईक दर्द के मौसम के

वो मौसम जो पूरे साल एक सा रहता है
कभी नहीं बदलता

आज लगा कि वो मौसम
पहुँच गया तुम्हारे पास

हमारे लाख न चाहने के बावज़ूद

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