आजकल बातें कम रहती हैं
तुम्हारे पास
जैसे कुछ नया होता नहीं
कहने को
जैसे हर चीज़ का असर
कम होता जाता हो धीरे धीरे
पर कुछ चीज़ें तो बढ़ती
घटती रहती हैं न
चाँद की तरह
हम लोगों को भी होना चाहिए
चाँद की तरह
और हर महीने
नया सा बन के आ जाना चाहिए
अपने आसमान में
तुम्हारे पास
जैसे कुछ नया होता नहीं
कहने को
जैसे हर चीज़ का असर
कम होता जाता हो धीरे धीरे
पर कुछ चीज़ें तो बढ़ती
घटती रहती हैं न
चाँद की तरह
हम लोगों को भी होना चाहिए
चाँद की तरह
और हर महीने
नया सा बन के आ जाना चाहिए
अपने आसमान में
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें