बुधवार, 30 नवंबर 2016

जन की बात

पहले जन की बात कीजिए,
फिर जन धन की बात कीजिए।
उसके बाद मन की बात कीजिए।
जब इस से काम ना चले,
तो काले धन की बात कीजिए ।
फिर देश की बात कीजिए,
उसे जनता तक पहुंचाने के
संदेश की बात कीजिए।
सफर की बात कीजिये
मुश्किलों की बात कीजिये,
चलने की बात कीजिये,
मुश्किल समय में आप के ढलने
की बात कीजिए ।
बार्डर की बात कीजिये,
आर्डर की बात कीजिये,
कुछ गीत की बात कीजिये,
संगीत की बात कीजिये,
आभासी शत्रुओं पर जीत
की बात कीजिए ।
बातों ही बातों में
सब बदल जायेगा,
वो ख्वाबों वाला सुनहरा
कल भी नज़र आयेगा ।
उम्मीद नज़र भले न आये
आंख गडा़ये रहिए,
चाहें जैसे भी हो
बात बनाये रहिए।

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